बंगला अजब बनाया रे

बंगला अजब बनाया रे,जिसमे नारायण बोले।
नारायण बोले रे,जिसमे पार ब्रम्ह बोले॥टेक॥

पाँच तत्व की भीत उठाई,तीन बुंद का गारा रे।
रोम रोम कर छान छबाई,निरखो निरखन हारा रे॥

इस बंगले के दस दरवाजे,बिच पवन का खम्बा ।
आते जाते लखे ना कोई,यही बडा अचम्भा॥

इस बंगले मै नाचे पुतलिया,मैना ताल बजावे रे।
निरत सुरत दोई मिरदिंग बाजे,निसदिन नाम सुनावे॥

घोडा छुटा चौक मेरे,कसवाँ करे पुकार।
दस दरवाजे बंद पडे हे,निकल गयो असवार॥

चुन चुन कर महल बनाया, जिव कहे घर मेरा।
ना घर तेरा ना घर मेरा,चिडिया रैन बसेरा॥

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
I want the meanings of each line, please
Vinod ने कहा…
Ok i will try some time
ramesh ने कहा…
May I request to provide spritual meaning of the beautiful bhajan.

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