गुरुजी मै तो ग्वाल बंदनो कर तेरा

गुरु मै तो ग्वाल बंदनो कर तेरा,लिखो मुहल्ला मेरा रे।

चुन चुन कनिका महल बनाया,चिडिया रैन बसेरा।
रात दिवस मै करुहु अदुलि,चोर लुटे नही डेरा॥१॥

दुवात मंगालो कलम मंगालो ,पट्टा लिखा लो पुरा।
अमरापुरी जागीरी लिखजो,बैकुण्ड करुहु बसेरा॥२॥

पाँचो हथियार कस कर बाँधो,तरकस बाँधो गहरा।
यम राजा से करु मे लडाई,सन्मुख लडहु अकेला॥३॥

जिन लगाम उतर ना पावे,चलने ना पावे घोड़ा ।
कहे जन सिंगा सुनो भाई साधु,ये पहला मुझरा मेरा॥૪॥

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