भज मन राम चरण सुखदाई

भज मन राम चरण सुखदाइ,जपो रे मन कृष्ण नाम सुखदाइ॥टेक॥

राम नाम के दो अक्षर मे ,सब सुख शान्ति समाई।
सुवा पडाबत गणिका तर गई,हनुमन्त लंक जलाइ॥

राम नाम के कारण पागल हो गई,पागल मीरा बाई।
पति छोडा परिवार भी छोडा,हरि से लगन लगाई॥

जिन चरणन कि चरन पादुका,भरत रहे मन लाई।
सोइ चरन केवट धोई लिन्हे,तब हरि नाव चढाई॥

सोई चरण संनतन जन सेवत,सदा रहे सुखदाइ।
सोइ चरण गौतम रिषी नारी,परस परम पद पाई॥

शिव सनकादिक अरु ब्रम्हादिक,शेष सहस्त्र मुख गाइ।
तुलसीदास मारुत सुत की,निज मुख करत बढाई॥

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