अनगडिया देव कोन करे तेरी सेवा

अनगडिया देव कोन करे तेरी सेवा

गडे देव को सब कोइ पुजे,नित हि लावे सेवा।
पुरण ब्रम्ह अखंडित स्वामी,ताको ना जाने भेवा॥

दस औतार निरंजन कहिये,सो अपनो ना होई।
यह तो अपनी करणी भोगे,करता ओर ही कोइ ॥

ब्रम्हा विष्णु महेश्वर कहिये,इन सर लागी काय।
इनके भरोसे मत कोइ रहियो,इनसे मुक्ति ना पाइ॥

जोगी जति तपी सन्यासी,आप आप मे लडिया।
कहे कबिर सुनो भाइ साधु,शब्द लखे सोइ तरिया॥

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