गुरु मै तो संसार को सुख भरमाई

गुरू मै संसार को सुख भरमाई, नाहक भरमणा खाई
किनका लड़का न किनका भरतार,केतराक दिनकी सगाई

कौन की कन्या बहिन भान्जी ,आरे भाई कौन काहे का जमाई

माता पिता ने जलम दियो है, कर्म संगाती नही कोई
कर्म भाग फल पाईया, आरे भाई जिनने रेखा है बतलाई

यो संसार ओस का मोती, पवन लगे धुल जाई
जब लग काया तब लग माया , आरे भाई अबला ढुळ मुळ रोई

तुम ही मायको क्यो तुम ही सासरो,तुम ही समरथ भाई
तुम ही माता पिता गुरू देवा,आरेभाई दिनो बृह्म लखाई

नित का आणा नित का जाणा, गर्भवास दुःख होई
कहेजण सिंगा सुणोभाई साधू,आरे तुम समझो सोनाबाई

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