सदा शरण सुख पाऊ गुरूजी हाऊ बहुरी न जल आऊँ गुरूजी हाऊ निंद्राआहार तज्यो म्हारा सामरथ,मुरती म सुरती मिलाऊ रेन दिवस सौ इक्कीस हजार , निरफल एक नी कोऊँ काम क्रोध मोह लोभ पुराणा, इ...
गुरू मै संसार को सुख भरमाई, नाहक भरमणा खाई किनका लड़का न किनका भरतार,केतराक दिनकी सगाई कौन की कन्या बहिन भान्जी ,आरे भाई कौन काहे का जमाई माता पिता ने जलम दियो है, कर्म संगाती ...
बाळा रे दुर खेलण मती जावो सिंगाजी म्हारा लाड़ीला रे आसा बसी रया दूश्मन लोग बाबा रे पिंजर घड़ाई देवू घर माही रे आसा छुम छुम चलो आंगण माय सिंगा रे घर कुवा न घर बावड़ी रे आसा नि...
सब संतन का प्यारा केशवरा बंजारा बंजारा बंजारा रे महाराज केशवरा बंजारा बंजारा डट खजीना बादळ भर भर, कबीर के घर लाये कबीरा की माता पुछण लागी आरे भाई कोण दिशा से आया वही देश हमा...
काया नही रे सुहाणी भजन बिन बिना रे लोण से दाल आलोणी गर्भवास म्हारी भक्ति क भूली न बाहर हूई न भूलाणी मोह माया म नर लिपट गयो सोयो तो भूमि बिराणी हाड़ मास को बणीयो रे पिंजरो उपर च...
खेती खेडो रे हरिनाम की, जामे मुकतो हे लाभ पाप का पालवा कटावजो, काठी बाहर राल कर्म की फाँस एचावजो खेती निरमळ हुई जाय आस स्वास दोई बैल है, सुरती रास लगाव प्रेम पिराणो कर धरो ज्ञ...
सोंहग बालो हालरो,हारे निरमळ थारी जोत नदी सुक्ता के घाट पर,बैठे ध्यान लगाई आवत देखीयो पींजरो,हारे लियो कंठ लगाई सप्त धातु को पींजरो,हारे पाठ्याँ तिन सौ साठ एक कड़ी हो जड़ाँ...
अन्त नी होय कोई आपणा, समझी लेवो रे मना भाई आप निरंजन निरगुणा हारे सगुण तट ठाढा यही रे माया के फंद में नर आण लुभाणा कोट कठिन गड़ चैढ़ना, दुर है रे पयाला घड़ियाल बाजत पहेर का दुर ...
संजोवन आरती सावळीयो घर आयो हो माता यशोदा थारो कान घर आयो हो हाथी से तो हाथी लड़ाया पवन गड़ ना पहाड़ फोड़िया रावण न दस मस्थक तोड़िय सीता जीत लायो हो कुंदो से तो कुंदापुरम दुढो हुई न...
निर्गुण ब्रह्म है न्यारा, कोइ समझो समझणहारा। खोजत ब्रह्मा जनम सिराना, मुनिजन पार न पाया। खोजा खोजत शिव जी थाके, ऐसा अपरंपारा।। सेस सहस मुख रटे निरंतर, रैन दिवस एकसारा। ऋषि ...
भज मन राम चरण सुखदाइ,जपो रे मन कृष्ण नाम सुखदाइ॥टेक॥ राम नाम के दो अक्षर मे ,सब सुख शान्ति समाई। सुवा पडाबत गणिका तर गई,हनुमन्त लंक जलाइ॥ राम नाम के कारण पागल हो गई,पागल मीरा ब...
अनगडिया देव कोन करे तेरी सेवा गडे देव को सब कोइ पुजे,नित हि लावे सेवा। पुरण ब्रम्ह अखंडित स्वामी,ताको ना जाने भेवा॥ दस औतार निरंजन कहिये,सो अपनो ना होई। यह तो अपनी करणी भोगे,...
म्हारो सतगुरु कर निरवारो म्हारा,करम अभागी का भाग को। सतगुरु कृपा से पाईया,अगम अगोचर भेद। सात सिन्ध का मेला भया,सहज हि लखिया अलख को पारस से पलटा भया,लोहा का कंचन होय। दुविधा ...
जो तु पियु कि लाडलि,अपनो कर लिजे,कलह कल्पणा छोड के। पियु के मारग कठिन है,जैसे खाडा कि धार। डिग मगे तो गिर पडे,कैसे उतरैगा पारा॥१॥ पियु का मारग सुगम है,तेरी चाल अनेडा। नाचनो जा...
बंगला अजब बनाया रे,जिसमे नारायण बोले। नारायण बोले रे,जिसमे पार ब्रम्ह बोले॥टेक॥ पाँच तत्व की भीत उठाई,तीन बुंद का गारा रे। रोम रोम कर छान छबाई,निरखो निरखन हारा रे॥ इस बंगल...
वो मन शितल होय हो,जग मे बैरी कोई नही॥ साधु कहावे सोहेला,लडेगा सोइ निचा। काचा फल पके नही,कबहु ना मिठा होय॥१॥ साधु कि चन्दन भावना,शितल जिनकर अंग। आप सरि सबको लेखे,देता अपना रंग...
उधो मोहे संत सदा अति प्यारे,जाकि महिमा वेद उचारे। मेरे कारण छोड जगत के भोग पदारथ सारे। निशदिन ध्यान धरे हिरदय मे,सब जग काज बिसारे॥ मे संतन के पिछे चालू,जहा जहा संत सियारे। च...
अब को जन्म सुधारो,गुरुजी म्हारो अब को जन्म सुधारो नही भुलुंगा जस तुम्हारो॥ गुरु बिन सहाय करे कौन जिव की,तिरथ करहू हजारो। पति बिन शोभा क्या त्रिया की,क्या बिधवा को सिंगारो...
वो मन शितल होय हो,जग मे बैरी कोई नही॥ साधु कहावे सोहेला,लडेगा सोइ निचा। काचा फल पके नही,कबहु ना मिठा होय॥१॥ साधु कि चन्दन भावना,शितल जिनकर अंग। आप सरि सबको लेखे,देता अपना रंग...
उधौ म्हारा करम कि गति न्यारी। ताल तलैया को मिठो जल हे,समुन्दर कर दिनो खारी। सुन्दर रुप दियो बगला को,कोयल कर दिनो कारी॥१॥ चतुर नार पुत्र बिन तरसे,फुवड जायी जायी हारी। वैश्य...
विद्यन हरण गणराज हे ,संकर सुत देवा। कोटी विद्यन टर जात है,गनपति को मनावा॥१॥ शिव सनकादिक सुमरिया,ब्रम्हा ने मनाया। हरि सुमरे कारज सरे,सरस्वती गुन गाया॥२॥ रिधी-सिध्दि जिनक...