कौन बड़ा परिवारी, हम सम कोण बड़ा परिवारी
कौन बड़ा परिवारी, हम सम कोण बड़ा परिवारी !
सत्य है पिता धर्म है भ्राता , लज्जा है महतारी
सील बहन संतोष पुत्र है, क्षमा हमारी नारी !
आशा सासु तृष्णा है सारी ,लोभ मोह ससुरारी
अहंकार है ससुर हमारे सो सब में अधिकारी
ज्ञानी गुरु विवेकी चेला, सदा रहे ब्रह्मचारी
काम क्रौध दो चोर बसत है ,जिन का डर है भारी
मन दीवान सुरती है राजा , बुद्धि मंत्री है भारी
सत्य धर्म के बसे नगरिया कहत कबीर पुकारी
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