बधावनो

तुम चलों संत पावाँ हो निदान, सिंगा जी घर हरी क बंधा वनो
बाबा यो पल नहीं आव पावणो आसा बहु जन उतरे पार
बाबा मनुष्य जलम दुर्लभ ह रेैं, तुम मानों वचन नर नार
जिन गुरु गोविन्द सेविया वो भव जल उतरे पार
बाबा धन करणी सतगुरु की, जिन जीत लियो रे संसार
बाबा दल्लु हो पतित हर की बिनती, गुरु मख राखो  चरण अधार

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