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                  सिंगाजी महाराज की आरती चलो संतो पावा हो दिदार,सिंगाजी घर हरि को बधावनो! बाबा मनुष्य जन्म दुर्लभ है रे,तुम मानो वचन नर नार! तुम चलों संत पावाँ हो निदान, सिंगा जी घर हरी क बंधावो रे बाबा यो पल नहीं आव पावणो आसा बहु दल उतरे पार बाबा मनुष्या जलम अति दुर्लभ हैं, तुम मानों वचन नर नार जिन गुरु गोविन्द सेविया वो बहु दल उतरे पार बाबा धन करणी हो म्हारा सतगुरु की, जिन जीत लियो रे संसार बाबा दास दल्लुपजा की

संजोनी

थारौ दुध छे केवल र्बम्ह संजीवन हर की कामधेनु रे! कामधेणु तो आकाश रहती ,निर्गुण चारो चरती! ञिवेणी को पानी पीती जहॉ उन मुनि करत गुठाण! संजीवन हर..................!! (१) सांझ पडे संजोनी घर आवे,ओहं बालो हुं करे! मन बाछडो उलटो ध्यावे,मेलो छे पृेम को पानो! संजोवनी हर की..............!!(२) सतगुरू आसन दोहन बैठे, तुरिया दुहणो हाथ! अनहद के घर घुम्मर बाजे,दुहत अखण्ड दिन रात! संजीवनी हर...................!!(३) बर्म्ह अगन पर दुध तपायो,छमा शांति लौ लागी! गुरू शब्द को दही जमायो,निश्चय को दियो हे जमान! संजोवनी हर....................!!(४) चन्द सुरज की रांइ बनायी ,घट अन्दर लौ लागी! दधि मथी न माखन तायो,निकल्यो छे सुमरन सार!! संजोवनी हर.....................!!(५) कामधेनू सतगुरू की महिमा,बिरला जन कोई पावे; कह रिषी सुन्दर गुरूजी की कृपा,ज्योत म ज्योत समाय! संजोवनी हर.....................!!(६)

बधावनो

तुम चलों संत पावाँ हो निदान, सिंगा जी घर हरी क बंधा वनो बाबा यो पल नहीं आव पावणो आसा बहु जन उतरे पार बाबा मनुष्य जलम दुर्लभ ह रेैं, तुम मानों वचन नर नार जिन गुरु गोविन्द सेविया वो भव जल उतरे पार बाबा धन करणी सतगुरु की, जिन जीत लियो रे संसार बाबा दल्लु हो पतित हर की बिनती, गुरु मख राखो  चरण अधार

तुम देखो दरियाव कि लहरी

तुम देखो दरियाव की लहरी-लहरी जहाँ सतगुरु बैठे हेरी इस दरियाव में बाजा बाजे आठों पहरी, ताल पखावज बजे झंजरी, वहा बंसी बजी रही गहरी इस दरियाव में साथ समंदर बिच गयब की डेरी, डेरी अ...