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मना रे मन की या माला फेर जो

 म्हारा सांई सुमरत निज नाम मना रे मन की या माला फेर जो! १) गणिका काशी कब हो गई,एसा कब बोया कबीरा ने जाग रे! दान सुदामा ने कब हो दिया ,उनकी सहायता करें भगवान रे! मना रे मन की या माला फेर जो! २)राई दास गंगा कब हो गया,एसा कब गया पापाजी तीरथ सेनाभगत ने अधरस कब हो पिया, जिन्हें घर बैठे कराया स्नान! मना रे मन की या माला फेर जो! ३)सुया ने सेमल सेयईयो ,घनेरी लगईगओ आस रे! फूल्यो फिल्यो फल भांजियों,जिम मारी चोंच निकल्या कपास! मना रे मन की या माला फेर जो! ४) कहत कबीर सुनो भाई साधो,यो पद हे निर्वाण! यो पद की कोई करो खोजना , भव से हो जाओ पार ! मना रे मन की या माला फेर जो!